बुधवार, 6 जून 2012

बदनाम बॉलीवुड उर्फ लव, सेक्स और धोखा (1)

एक मशहूर गजल का शैर है, हर हंसी मंजर से यारों फासले कायम रखो, चांद जो धरती पे उतरा देखकर डर जाओगे। कुछ कुछ ऐसा ही हाल मुंबई मनोरंजन जगत का है। इसका आकर्षण दूर से जितना नजर आता है, इसके भीतर आकर इसके दलदल से उतनी ही कोफ्त होती है। फिल्ममेकर बनने की वैसे तो पहली शर्त यहां अपना ईमान खूंटी पर टांग देने की ही है, पर क्या करें पत्रकारिता के उस कीड़े का जिसके काटे का कहते हैं कोई इलाज नहीं। पत्रकार बनकर ये रपट लिखने से पहले मैंने फिल्म जगत का सक्रिय क्षेत्र माने जाने वाले मुंबई के चंद खास इलाकों का दौरा किया तो जो तस्वीर सामने आई वो न सिर्फ चौंका देने वाली रही बल्कि सच का सामना करते वक्त कई बार डर भी लगा।

© पंकज शुक्ल

दक्षिण भारत की एक फिल्म में लीड हीरोइन, वहां के मशहूर अभिनेता आर माधवन के साथ विज्ञापन फिल्म और माउथ फ्रेशनर के एक मशहूर ब्रांड के विज्ञापन में काम कर चुकी अभिनेत्री अनुष्का को हर साल गर्मियों में एक ऐसी मुसीबत से दो चार होना होता है, जो मुंबई फिल्म, टीवी और कमर्शियल इंडस्ट्री में काम करने की चाहत लेकर देश भर से आने वाले युवक युवतियों के लिए किसी सालाना मिशन से कम नहीं। ये मिशन है यहां किराए पर एक घर तलाशने का। मुंबई फिल्म इंडस्ट्री मुख्यतया बांद्रा से लेकर अंधेरी के बीच बसती है और फिल्मों और टेलीविजन से जुड़े ज्यादातर प्रोडक्शन घरानों के दफ्तर भी इसी इलाके में हैं। जाहिर है फिल्म और टीवी में काम करने का इच्छुक हर युवक व युवती इसी इलाके में इसीलिए रहना चाहता है ताकि मीटिंग या ऑडीशन का बुलावा आने पर वो झट से मौके पर पहुंच सके। लेकिन, पिछले कुछ साल से इस इलाके में हालात बदल गए हैं। अब यहां किसी अकेली युवती या युवक के लिए घर ढूंढना किसी मिशन इंपॉसिबल से कम नहीं है। वजह? अभिनेत्री मारिया सुसईराज के घर में एक प्रोडक्शन कंपनी के एक्जीक्यूटिव नीरज ग्रोवर की हत्या। अपने अभिनेता बेटे अनुज टिक्कू के घर में दिल्ली के कारोबारी अरुण टिक्कू की हत्या। अभिनेत्री मीनाक्षी थापा की अपहरण के बाद हत्या। अभिनेत्री लैला का रहस्मयी तरीके से परिवार समेत गायब हो जाना। और, वर्सोवा इलाके में कई संघर्षशील लड़कियों का वेश्यावृत्ति के धंधे में लिप्त होने के कारण पकड़े जाना।

ये हैं वो चंद हादसे और गुनाह जो पुलिस की निगाह में आने की वजह से आम लोगों की जानकारी तक पहुंच सके। इस कवर स्टोरी के लिए और जानकारियां जुटाने के लिए बांद्रा से लेकर अंधेरी तक के इलाकों में भटकने के दौरान कुछ और चौंकाने वाली बातें भी सामने आईं। अभिनेता आर माधवन अंधेरी के ओशिवरा स्थित जिस इमारत में कुछ साल पहले तक रहा करते थे, उस इमारत में कम से दो फ्लैट ऐसे हैं, जिनमें कुछ महीने पहले तक दिन दहाड़े चकलाघर चलता रहा है। इसी इमारत में एक खूबसूरत मॉडल रहती है, जिसके पास महीनों महीने कोई काम नहीं होता लेकिन जिसके रहन सहन को देखकर इमारत में रहने वाले भौंचक्के रहते हैं। थोड़ा और आगे चलने पर वो इमारत आती है, जिसमें कोएना मित्रा रहती हैं। कोएना मित्रा को झारखंड की ब्रांड अंबेसडर बनवाने की अंतर्कथा में ना भी जाएं तो इसी इमारत के करीब रहती हैं वो मोहतरमा जिनकी फिल्म जगत में बोहनी अक्षय कुमार की एक फिल्म से हुई। इनसे सप्ताहांत में मिलना हो तो कहते हैं दो महीने पहले बुकिंग करानी होती है। थोड़ा आगे ओशिवारा का नाला पार करते ही बाईं तरफ का रास्ता एक ऐसी बस्ती की तरफ जाता है, जहां फिल्म और टीवी में काम करने के लिए संघर्षरत निम्नमध्यमवर्गीय युवक युवतियां रहते हैं। यहीं पर अड्डा है कुछ ऐसे कोऑर्डिनेटर्स का जो लड़कियों को निर्माता निर्देशकों से मिलवाने का ठेका लेते हैं। इसके बदले में फीस कभी नकद के तौर पर तो कभी देह के तौर पर वसूली जाती है। अपना घर बार छोड़ अभिनेत्री बनने की जिद पर मुंबई चली आईं लड़कियों के सामने इसके सामने दूसरा चारा होता भी नहीं है। जो मजबूर हैं वो इसमें भी अपने लिए जीने का जरिया ढूंढ लेती हैं और जो शातिर हैं वो बन जाती हैं सिमरन सूद। सिमरन सूद के अपराधी बनने की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है।

ओशिवारा का नाला पार करते ही बाईं तरफ का रास्ता एक ऐसी बस्ती की तरफ जाता है, जहां फिल्म और टीवी में काम करने के लिए संघर्षरत निम्नमध्यमवर्गीय युवक युवतियां रहते हैं। यहीं पर अड्डा है कुछ ऐसे कोऑर्डिनेटर्स का जो लड़कियों को निर्माता निर्देशकों से मिलवाने का ठेका लेते हैं। इसके बदले में फीस कभी नकद के तौर पर तो कभी देह के तौर पर वसूली जाती है। अपना घर बार छोड़ अभिनेत्री बनने की जिद पर मुंबई चली आईं लड़कियों के सामने इसके सामने दूसरा चारा होता भी नहीं है।

सिमरन सूद को मुंबई पुलिस ने अरुण टिक्कू की हत्या के आरोप में गिरफ्तार विजय पलांडे से रिश्तों के चलते पूछताछ के लिए बुलाया था। लेकिन, सिमरन सूद के गिरफ्त में आने के बाद जो खुलासे होने शुरू हुए उनसे एक के बाद एक कई गुनाहों की कड़ियां खुलती चली गईं। सिमरन सूद तो वो मछली है जो पकड़ में आई है लेकिन मनोरंजन जगत के तालाब को गंदा करने वाली ऐसी तमाम मछलियां मायानगरी के समंदर में बेखौफ तैर रही हैं। ये लड़कियां अपराध के दलदल में क्यूं उतरती है? इनका शोषण होता है या फिर मौज मस्ती करते करते कब ये इस कीचड़ के दाग अपने दामन पर लगा लेती हैं? इसे समझने के लिए हमने एक फिल्म निर्माता मित्र की मदद ली। फिल्म निर्माता ने हमें कुछ ऐसी लड़कियों से मुलाकात कराने का वायदा किया, जो फिल्मों में काम पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती हैं। इस निर्माता ने अपने मैनेजर से अपनी एक अनाम फिल्म के ऑडीशन रखने को कहा। मैनेजर ने ऑडीशन कोऑर्डिनेटर को इसकी इत्तला दी। और तय समय और दिन पर हम लोग ओशिवारा के एक ऑडीशन हाल में सुबह सुबह जा बैठे। ऑडीशन सुबह 10 बजे से 2 बजे तक होने थे और इसके लिए लड़कियों को 10-10 मिनट के अंतराल पर बुलाया गया। लेकिन, 10 बजने से पहले ही हॉल के सामने कोई दो दर्जन लड़कियां पहुंच चुकी थीं। कुछ तो अपनी खुद की गाड़ियों से आई थीं। निर्माता ने अपने एक सहायक को हैंडी कैम देकर तैयार कर रखा था। ऑडीशन के लिए पहुंचने वाली हर लड़की को चार पांच लाइनों का एक संवाद पहले से दिया जा चुका था।

शुरू की दो तीन लड़कियां तो आकर अपना नाम, मोबाइल नंबर बोलने के बाद दिए गए संवाद पर अदायगी करके चलती बनीं। इनमें से भी दो ने जाते जाते निर्माता से गले मिलने का उपक्रम किया और मिलने के लिए किसी भी वक्त बुला लेने की इत्तला भी दी। लेकिन चौथे नंबर पर आई लड़की की चाल में लड़खड़ाहट थी। उसने जैसे तैसे अपना नाम और मोबाइल नंबर बोला। संवाद के लिए इशारा मिलते मिलते वो पास में पड़ी कुर्सी पर ढेर हो गई। मे आई स्मोक? पूछने के बाद जवाब मिलने से पहले ही वो अपनी पर्स से सिगरेट निकालकर सुलगा चुकी थी। धुएं की महक से पता चला कि सिगरेट में सिर्फ तंबाकू ही नहीं था। निर्माता ने अपने सहायक से मोहतरमा को बाहर छोड़ आने के लिए कहा तो वो रो पड़ीं। आई नीड दिस रोल..आई कैन मैक यू हैपी इन व्हिजएवर वे यू लाइक..(मुझे ये रोल चाहिए..मैं आप जिस भी तरह चाहें मैं आपको खुश कर सकती हूं..)। निर्माता के इशारे पर सहायक ने उन्हें बाहर चलने को कहा। लड़की इस बार हिंदी बोलने लगी, सर, प्लीज मुझे पांच हजार रुपये दे दीजिए। मैं अगले महीने वापस कर दूंगी। निर्माता खुद इसके बाद उसे बाहर करके आया। लौटकर इस निर्माता मित्र ने ये भी बताया कि ऑडीशन हॉल के भीतर भीख मांग रही पर अच्छे घर की दिख रही ये लड़की हॉन्डा सिटी कार से आई थी और वो भी अपने ड्राइवर के साथ। कोई भी ये सोचने पर मजबूर हो सकता है कि आखिर चालक के साथ कार से आने वाली कोई लड़की भला निर्माता से पैसे मांगने के लिए क्यूं रोएगी?
हमने ये भी समझने की कोशिश की, इस बारे में पढ़िए अगली कड़ी में..

संपर्क : pankajshuklaa@gmail.com

(Disclaimer - हिंदी सिनेमा के लिए बॉलीवुड शब्द के इस्तेमाल का मैं भी समर्थन नहीं करता। लेकिन, इस आलेख में इसी शब्द की असलियत दिखाई गई है।)

10 टिप्‍पणियां:

  1. अब अगली कड़ी का इंतजार रहेगा। बेहतरीन रिपोर्ट। खोजपरक और जानकारीपरक। साथ ही विचारोत्तेजक भी।

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    1. धन्यवाद जगदीश भाई। उम्मीद है दूसरी कड़ी भी ज़रूर पढ़ी होगी।

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  2. bada ghara adhyan shukla ji,,,,aur tay hai ise padhkar log jaroor jaagenge

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  3. Itne bhawah hai filmi duniya ki hakekat ? Is chamak damak mein to kayi ladkiyon ki jindagi barbad ho jati hogi .agli kdi ka intjar hai.

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  4. sir agli kari ka mujhe bhi intazar rhenga aap post jrur karna or uska link bhi

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  5. sir apki next kari ka intazar rhenga aap post jrur karna or uska link bhi

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  6. बॉलीवूड का इससे विद्रूप चेहरा इतनी अच्छी तरह से कोई नहीं दिखा सकता, कड़ी नहीं पढ़ी है पोस्ट करें !

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