शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

फरवरी की पांचवीं तारीख...

रचनाशीलता का एक अनोखा संगम 9 फरवरी को मुंबई में हो रहा है। यूनियन पार्क, खार की आउट ऑफ द ब्लू आर्ट गैलरी में मशहूर अभिनेता फारुख शेख कैनवास और कलम के इस संगम का उद्घाटन करेंगे। मशहूर पेंटर संगीता रोशनी बाबानी की पेटिंग्स पर लिखी गईं मेरी कुछ रचनाएं इस दिन पेटिंग्स के साथ सार्वजनिक पठन के लिए प्रदर्शित की जाएंगी। आप भी आमंत्रित हैं। प्रदर्शनी 20 फरवरी तक चलेगी।



वो जो हलचल है तेरे दिल में मेरी हरक़त है,
मेरी जुंबिश ही तेरे हुस्न की ये बरक़त है।

मेरी गुस्ताख़ नज़र ने तुझे फिर से देखा,
तू कुछ औऱ खिली, और रंगीं शफ़क़त है।

गुम हूं पास तेरे तू ही ढूंढती मुझको,
मेरे सीने में छिपी क्या ये तेरी हसरत है।

तेरे करीब हूं, फिर भी जुदा सी तू मुझसे,
मेरी तदबीर से संवरी ये किसकी किस्मत है।

तेरा ये गोरा रंग, फितरत मेरी ये काली सी,
ना तू मंदिर में रहे फिर भी मेरी इबादत है। (पं.शु.)

पेंटिंग सौजन्य- संगीता रोशनी बाबानी

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (7/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  2. शुक्रिया वंदना जी। आपका उत्साहवर्द्धन मेरा हौसला बढ़ाता है।

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  3. मेरी गुस्ताख़ नज़र ने तुझे फिर से देखा,
    तू कुछ औऱ खिली, और रंगीं शफ़क़त है।

    गुम हूं पास तेरे तू ही ढूंढती मुझको,
    मेरे सीने में छिपी क्या ये तेरी हसरत है।

    वाह...वाह...वाह...लाजवाब...दाद कबूल अक्रें.

    नीरज

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  4. खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद. डोरोथी बहन.

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