शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

"हम हैं राष्ट्र की ऊर्जा की बुनियाद"


अरसा हुए जब टेलीविजन पर एक विज्ञापन आया करता था, शायद फोर स्क्वायर वालों का विज्ञापन हुआ करता था जिसमें नयन मोंगिया को बॉलिंग करते दिखाया जाता था। और विज्ञापन के आखिर में एक कैचलाइन उभरती थी - YOU NEVER KNOW WHAT YOU CAN BECOME.

हम जो देखते हैं, सुनते हैं, करते हैं और बोलते हैं। उसमें से काफी कुछ ऐसा होता है जो हमारे अवचेतन मस्तिष्क में कही ना कहीं चस्पा होकर रह जाता है। और फिर जब कभी ऐसा कुछ हमारे साथ फिर से होता है तो स्मृतियां एकाएक ताज़ा हो जाती हैं। सर्जनात्मक कार्यों के लिए स्वच्छंद वातारवण के साथ साथ ऐसे लोगों का साथ भी ज़रूरी होता है जो आपको लगातार अपनी सीमाएं तो़ड़ने के लिए प्रेरित करते रहें। निगरानी में रहकर क्रिएटिव काम शायद ही कोई कर पाया हो।

इधर पिछले कुछ महीनों से लघु फिल्मों के निर्माण में ऐसा उलझा कि ना दिन की फिकर रही ना रात की चिंता। प्रेरक मित्र शरद मिश्र से इस दरम्यान नोंक झोंक भी चलती रही है। लेकिन एक सच्चे मित्र के सारे गुण मुझे शरद में दिखते हैं। सातवीं या आठवीं में दोस्ती की व्याख्या करने वाला संस्कृत का एक श्लोक पढ़ा था शायद कुछ कुछ यूं है-

पापान् निवारयति योजयते हिताय।
गुह्यं निगूहति गुणान् प्रकटीकरोति।।

आपद गतं च न जहाति दताति काले।
सन्मित्र लक्षणं इदं प्रवदंति संत:।।

इसका तर्जुमा सुधी लोग तो समझते ही हैं। बस यहां इसे लिखने का आशय ये है कि अगर सच्चा मित्र आपको प्रेरित करे तो कई बार आप अपनी ही खींची लकीर को छोटा कर जाते हैं। प्रिंट से टीवी और वहां से फिल्म तक का सफर तय करने के दौरान अपनी लेखनी की तारीफ तो मुझे अक्सर सुनने को मिली लेकिन किसी ने इस बात के लिए प्रेरित नहीं किया कि मैं निर्देशन और कथा- कहानी के साथ साथ गीत लेखन में भी अपना हुनर दिखा सकता हूं।

भाई शरद मिश्र ने ललकारा और उनकी ललकार कुछ कुछ "का चुप साध रहेउ बलवाना" की तर्ज पर अपना काम कर गई। एक गीत लिखा है। और ये लिखा गया है भारत सरकार की नवरत्न कंपनी कोल इंडिया के लिए। आप भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया दें। इस गीत को गायक कैलाश खेर के स्वरों में संगीतकार धनंजय मिश्र ने संगीतबद्ध किया है। गीत का विमोचन एक नवंबर 2009 को कोयला मंत्री श्री श्रीप्रकाश जायसवाल कोलकाता में करने जा रहे हैं। इस गीत की पंचलाइन - हम हैं राष्ट्र की ऊर्जा की बुनियाद - साथी शरद मिश्र की सुझाई हुई है।

बंदगी, बंदगी, बंदगी,
स्याह हीरे की बंदगी।

ज़िंदगी, ज़िंदगी, ज़िंदगी,
बदल रही ज़िंदगी।

रौशनी का राग चले
सीने में आग जले

सुनते हम सबकी फरियाद
हम हैं राष्ट्र की ऊर्जा की बुनियाद।

कोल इंडिया, कोल इंडिया।
कोल इंडिया, कोल इंडिया।

रफ्तार की रेल में
खुशियों के मेल में

मुन्नी की चमक है
अम्मा की गमक है

सुनते हम सबकी फरियाद
हम हैं राष्ट्र की ऊर्जा की बुनियाद।

कोल इंडिया, कोल इंडिया।
कोल इंडिया, कोल इंडिया।

हरियाली की ज़िम्मेदारी
करें भविष्य की पहरेदारी

स्वस्थ समाज संकल्प हमारा
बहे विकास की कल कल धारा

सुनते हम सबकी फरियाद
हम हैं राष्ट्र की ऊर्जा की बुनियाद।

कोल इंडिया, कोल इंडिया।
कोल इंडिया, कोल इंडिया।

(गीत फिल्म राइटर्स एसोसिएशन में लेखक के नाम से पंजीकृत)

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके मित्र की ललकार काम कर गयी। हमारी सलाह है कि उन्हें इसी तरह ललकारते रहना चाहिए, जिससे आपकी ऐसी ही अच्छी अच्छी रचनाएं पढने कोमिलती रहें।
    --------------
    स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक
    आइए आज आपको चार्वाक के बारे में बताएं

    जवाब देंहटाएं
  3. संगीता जी और अर्शिया जी,
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अर्शिया कोशिश जारी रहेगी, ये वादा है।
    -पंकज

    जवाब देंहटाएं