गुरुवार, 30 जुलाई 2009

बाग़ी हो गया छोटा शकील !!!


मुंबई में पिछले साल हुए आतंकी हमले के बाद से भले ही केंद्रीय खुफिया एजेंसियां सतर्क हों और खुद गृह मंत्री पी चिदंबरम ये कह रहे हों कि भारत के पश्चिमी तटों की समुद्रीय सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं, जानकार बताते हैं कि अगला हमला पूरब की तरफ हो सकता है। मुंबई का अंडरवर्ल्ड अब सिर्फ देश की आर्थिक राजधानी का ही अंडरवर्ल्ड नहीं रहा। इसके इस शहर से निकल कर दक्षिण और पूरब में पैर पसार लेने के पुख्ता सबूत सामने आने लगे हैं। निजी बातचीत में मुंबई पुलिस के अफसर भले ये कहते नहीं थकते कि हिंदी फिल्मों के गिरते कारोबारी स्तर और मुंबई में हर तरफ दिखने वाली दिक्कतों ने अंडरवर्ल्ड को इस शहर से बाहर ठिकाने बनाने पर मज़बूर किया है, लेकिन बात बस इतनी सी नहीं है। देश की सबसे बड़ी म्यूज़िक कंपनी के संस्थापक टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार का हत्यारा अब्दुल रऊफ मर्चैंट यूं ही बांग्लादेश नहीं पहुंच जाता है। कोल्हापुर जेल में 2002 से उम्र कैद की सज़ा काट रहे रऊफ को अदालत ने इसी साल 23 मई को फर्रलॉग पर छोड़ा था। रऊफ के त्रिपुरा के रास्ते बांग्लादेश में दाखिल होने की पूरी आशंका जताई जा रही है, और रऊफ को पकड़े जाने के साथ ही बांग्लादेश पुलिस ने चार साल पुराने वो रिकॉर्ड भी खंगालने शुरू कर दिए हैं, जिसमें 10 ट्रक असलाह की तस्करी के मामले में दाऊद इब्राहिम का नाम सामने आया था। दाऊद की डी कंपनी का कराची का आशियाना दुनिया की निगाह में है। बढ़ते अमेरिकी दबाव के चलते पाकिस्तान भी चाहता है कि दाऊद अपना ठिकाना, भले कुछ दिन के लिए ही सही, कहीं और बना ले। और, समुद्र तक आसान पहुंच, तीन तरफ से भारत से सटी सीमाएं डी कंपनी के लिए बांग्लादेश को एक मुफ़ीद देश बना देती हैं। लेकिन, भारत के पूरब में अंडरवर्ल्ड के बनते नए आशियाने की ख़बर पाकर भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने कोई बड़ा कदम उठाया हो, अभी तक तो सामने नहीं आया।

बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी मानती है कि डी कंपनी के कम से कम 50 बड़े सिपहसालार लगातार बांग्लादेश आते रहे हैं और यही नहीं इन्हें वहां सियासी और मज़हबी मददगार भी मिल रहे हैं। बांग्लादेश पुलिस को चार पेज की एक ऐसी लिस्ट मिली है, जिसमें इन गुनहगारों और उनके बगलगीरों के नाम हैं। ज़ाहिद शेख उर्फ मुज़ाहिद नाम के एक शातिर के घर मिली इस लिस्ट से ये भी खुलासा होता है कि मुंबई अंडरवर्ल्ड अपने गिरोह में नौजवानों को भर्ती करने के लिए खूबसूरत युवतियों का सहारा भी लेने लगा है। बांग्लादेश की खुफिया एजेंसियों ने इस बात की पुष्टि की है कि डी कंपनी में बांग्लादेश से भर्ती हुईं कम से कम 20 हसीनाएं पढ़े लिखे नौजवानों. काबिल कंप्यूटर जानकारों और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले लड़कों को डी कंपनी की तरफ खींचने के काम में लगी हुई हैं। गुलशन कुमार के हत्यारे अब्दुल रऊफ की बांग्लादेश में गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुंबई पुलिस की तरफ से इसकी कोई जानकारी ना होने का बयान आने से भी खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हुए हैं। रऊफ बांग्लादेश में ब्राह्मणबरिया में पहचान बदलकर एक हिंदू के तौर पर रह रहा था। रऊफ के मोबाइल से डी कंपनी के पूरब में जड़ें जमाने की साज़िश के पुख्ता सबूत मिले हैं।
आईएसआई का मोहरा बन चुके दाऊद के सामने अब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के इशारे पर नाचने के अलावा दूसरा चारा बचा भी नहीं है और आईएसआई डी कंपनी के गुर्गों का इस्तेमाल आतंक के अलावा एक और ख़तरनाक खेल में भी कर रही हैं। रऊफ मर्चेंट की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में ही पकड़े गए लश्कर ए तोइबा आतंकी मुफ्ती ओबैदुल्ला के अतीत ने भारत के उत्तर पूर्व राज्यों के पुलिस प्रमुखों और खुफिया एजेंसियों को हिलाकर रख दिया है। मुफ्ती वो आतंकी है जिसे पुलिस पिछले डेढ़ दशक से पकड़ने की फिराक में रही है और ये शातिर बांग्लादेश के मदरसों में मौलवी का भेस धरकर छिपता रहा। मुफ्ती ही वो कड़ी है जिसके ज़रिए डी कंपनी के तार लश्कर ए तोइबा से कोई 14 साल पहले जुड़े थे। और इन दोनों खतरनाक प्यादों का इस्तेमाल करके ही आईएसआई ने भारत के उत्तर पूर्व राज्यों में गड़बड़ी फैलाने के मंसूबे बांध रखे हैं। उत्तर पूर्व को भारत से अलग करके एक इस्लामी देश बनाने की साज़िश आईएसआई ने काफी खुफिया तरीके से रची है लेकिन मुफ्ती ओबैदुल्ला की गिरफ्तारी से इसका पहली बार पर्दाफाश सबूत के साथ हुआ है। मुफ्ती खुद को देवबंद से पढ़ा हुआ बताता है और उसने से भी राज़ खोला है कि उत्तर पूर्व में कराची के आतंकी कैंपों के लिए भर्ती भी चालू हो चुकी है।
लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि दाऊद ने पूरब में नई पनाहगाह पाने के बाद मुंबई से दामन दूर करने का कोई फैसला कर लिया हो। इस साल की शुरुआत में कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को आई कराची से धमकी को भले किसी ने गंभीरता से ना लिया हो, लेकिन वो अंडरवर्ल्ड की मुंबई में नई दस्तक थी। तब से लेकर पिछले छह सात महीनों में ऐसी तमाम वारदातें हुई हैं, जो इस तरफ साफ इशारा करती हैं कि अंडरवर्ल्ड की हरकतें तेज़ हो रही हैं और इस बार शायद वो पहले से ज़्यादा प्लानिंग के साथ पैर पसार रही है। यूटीवी के मालिक रॉनी स्क्रूवाला को मिली धमकी और फिर उनके दफ्तर से टपोरियों की गिरफ्तारी तो बस एक झलकी है। पुलिस के बड़े अफसर दबी ज़ुबान से उन दुर्घटनाओं का ज़िक्र खासतौर से करते हैं जो पिछले कुछ महीनों में मुंबई की सड़कों पर हुईं। इन दुर्घटनाओं में पुलिस के वो ख़बरी निपटाए गए, जो अंडरवर्ल्ड खासतौर से अंडरवर्ल्ड की हरकतों के बारे में क्राइम ब्रांच तक जानकारियां लाया करते थे। अंडरवर्ल्ड मुंबई को अब ऑपरेशन सेंटर नहीं बल्कि कॉरपोरेट हब बनाना चाहता है। और, यहां से दक्षिण की तरफ भी निशाना साध रहा है। कभी दाऊद के करीबी और फिर दाऊद के खिलाफ पुलिस को टिप देने वाले मुथप्पा राय का नाम कर्नाटक में बच्चा बच्चा जानता है। सितंबर में कर्नाटक में आईपीएल की तर्ज़ पर केपीएल होने जा रहा है और आप शायद ये पढ़कर चौंक जाएं कि इस टूर्नामेंट की एक टीम का मालिक मुथप्पा राय हो सकता है। मुथप्पा ने बाकायदा टीम खरीदने के लिए बोली लगाने का फॉर्म भी भरा है। प्रत्यर्पण संधि का इस्तेमाल करके भारत लाए गए मुथप्पा के खिलाफ अब कोई केस नहीं है। दो साल पहले उसके खिलाफ़ चल रहे सारे मुकदमों का उसके पक्ष में निपटारा हो गया, यहां तक कि कत्ल जैसे मुकदमों में भी पुलिस दमदार सबूत और गवाह नहीं पेश कर पाई।
मुथप्पा तो बस एक नमूना है। डी कंपनी देश के हर सूबे में अपने गुर्गे खड़े करने की फिराक में हैं। अंडरवर्ल्ड की वापसी इस बार बहुत ही सफाई के साथ बनाई गई साज़िश के तहत होती नज़र आ रही है। डी कंपनी के गुर्गे जानबूझकर विदेश से भारत की जेलों में पहुंच रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि गवाहों और सबूतों के अभाव में वो कल नहीं तो परसों खुली हवा में सांस ले रहे होंगे। महाराष्ट्र में अश्विन नायक के जेल से बाइज्जत बरी होने और फिर शिव सेना नेता उद्धव ठाकरे से मिलने के भी अलग अलग कयास मुंबई पुलिस के अफसर लगा रहे हैं। लेकिन, डी कंपनी के इस नए खेल की मुख़ालिफ़त करने वाले भी सामने आने लगे हैं। उसके अपने ही गैंग में इसके खिलाफ फूट पड़ने की ख़बरें हैं। दाऊद के भाई नूरा को भी इसी सिलसिले में निशाना बनाया गया। खबरें ये भी हैं कि डी कंपनी की नई प्लानिंग में सेकंड लाइन के गुर्गे बड़ा हिस्सा पाना चाहते हैं।
और सेकंड लाइन के इन गुर्गों का लीडर है छोटा शकील। वो छोटा शकील जिसका नाम सुनते ही देश के बड़े बड़े धन्नासेठों की तिजोरियों के ताले अपने आप खुल जाते हैं। लेकिन अंडरवर्ल्ड की नई दस्तक इस बार ज्यादा चौंकाने वाली हो सकती है। डी कंपनी की ख़बर रखने वाले नूरा इब्राहिम से जुड़ी ख़बरों का इस बारे में खासतौर से ज़िक्र करते हैं। दाऊद का मुंबई और भारत के दूसरे सूबों में फिरौती और हत्या की सुपारी लेने का कारोबार छोटा शकील ही संभालता रहा है, लेकिन छोटा शकील और नूरा के बीच अनबन और इसके बाद नूरा पर क़ातिलाना हमले की ख़बर फैलने की असलियत तक अब तक कोई नहीं पहुंच पाया है। और, इस अनबन के बीज तब पहली बार पनपे थे जब छोटा शकील के छोटे भाई अनवर को डी कंपनी से बाहर का रास्ता दिखाया गया। नूरा पर क़ातिलाना हमले की ख़बर और देश में फर्जी करेंसी की बड़ी बरामदगियों के बीच कुछ ही दिनों का अंतर रहा। और, ये बात किसी से भी छिपी नहीं हैं कि छोटा शकील ने फर्जी करेंसी का कारोबार का दारोमदार अपने छोटे भाई को सौंप रखा था। अनवर का फर्जी करेंसी का नेटवर्क पाकिस्तान से शुरू होकर नेपाल, बांग्लादेश और भारत तक फैला रहा है। लेकिन, डी कंपनी से बाहर होने के बाद भी अनवर ने अपना काम बंद नहीं किया। उसने बांग्लादेश में अपनी नई पनाहगाह बनाई और वहीं से फर्जी करेंसी के कारोबार को अंजाम देने लगा। और, यहीं से डी कंपनी के इतिहास में पहली बार अदावत के अंदाज़ नज़र आने लगे।
गुलामी के रिश्ते पर अब खून का रिश्ता भारी पड़ चुका है। बीस साल से दाऊद इब्राहिम के साथ साए की तरह रहा छोटा शकील अपने भाई को लगातार मदद पहुंचाता रहा है। और, नूरा पर क़ातिलाना हमले की ख़बर आने से पहले नूरा और छोटा शकील के बीच अनबन की जो ख़बर आई थी, उसकी वजह भी यही थी। भाजपा नेता वरुण गांधी को मारने की तैयारी करके आए राशिद मलबारी की गिरफ्तारी ने छोटा शकील का रुआब डी कंपनी में घटाया तो छोटा शकील को लगने लगा कि अब डी कंपनी में उसे अपना खोया हुआ रुतबा पाने के लिए किसी बड़ी वारदात को अंजाम देना पड़ेगा। वैसे मुंबई के पुलिस अफसरों के बीच इस बात की चर्चा अब आम है कि ऐसा कुछ कर पाने से पहले ही छोटा शकील को अपने बॉस यानी दाऊद का ठिकाना छोड़ना पड़ा है। और, अगर खुफिया खबरों पर यकीन किया जाए तो छोटा शकील का नया अड्डा बांग्लादेश हो सकता है। फिलहाल वो कहां है, ये कोई नहीं जानता, अंडरवर्ल्ड की नब्ज थामने वालों को कोई जानकारी है तो बस इतनी कि डी कंपनी के ज़्यादातर शार्प शूटर्स छोटा शकील के हमसफर बन चुके हैं और आने वाले दिनों में अगर छोटा शकील ने अपना अलग गैंग बनाने के सपने को हक़ीक़त में बदलने की कोशिश की, तो इसकी पहली सूनामी पूरब से ही आएगी।
बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हो रही अंडरवर्ल्ड के लोगों की गिरफ्तारी को मुंबई में कुछ साल पहले चले गैंगवार के तौर पर देखा जा रहा है। तब मुंबई पुलिस के कुछ अफसरों पर ये आरोप लगा था कि वो अंडरवर्ल्ड के इशारों पर विरोधी गैंगलीडर्स का एनकाउंटर में सफाया कर रहे हैं। कुछ कुछ ऐसा ही अब बांग्लादेश में हो रहा है। वहां लगातार या तो बड़े पैमाने पर नकली करेंसी बरामद की जा रही है या कोई ना कोई शार्प शूटर गिरफ्तार हो रहा है। लेकिन, इस लुकाछिपी के बीच डी कंपनी और छोटा शकील दोनों के गुर्गे तेज़ी से अपने लिए महफूज़ ठिकाने भारतीय सीमा से सटे इलाकों में बनाते जा रहे हैं। मुकाबला अब अपना अपना दबदबा कायम करने का है और इस दबदबे की मिसाल देने के लिए और अपने पाकिस्तानी आकाओं की नज़र में चढ़ने के लिए दोनों खेमों में से कोई भी पूरब के किसी बड़े शहर में अपने घिनौने कारनामों को अंजाम देने की पूरी फिराक़ में हैं।

(यह लेख नई दुनिया के 29 जुलाई के सभी संस्करणों में संपादकीय पृष्ठ पर संपादित स्वरूप में प्रकाशित हुआ। इसे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें य लिंक को ब्राउज़र में कॉपी पेस्ट करें)

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1 टिप्पणी:

  1. देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल इन लोगों के खिलाफ जब भी कोई कार्रवाही की जाती है तो कहा जाता है कि अल्पसंख्यकों के सताया जा रहा है।ये कहने वाले कोई और नही हमारे अपने ही देश के मनवाधिकार संगठन और छद्म धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़े नेता हैं।जो सच्चाई जानकर भी अपने फायदे के लिये वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। अगर समय रहते देश न चेता तो मुम्बई हमले जैसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।क्योंकि ये लड़ायी अब धर्मयुध्द में बदल चुकी है।

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