गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

छत्तीसगढ़

खुदा की कसम ये कश्मीर तो नहीं
लेकिन कश्मीर से कम भी नहीं...

रायपुर, १६ अप्रैल। सुबह दफ्तर पहुंचने के बाद लोक सभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान आ रही ख़बरों के बीच भागदौड़ चल ही रही थी कि मुंबई से पुराने मित्र श्रीनिवासन रामचंद्रन, जिन्हें सब रामा के नाम से ज़्यादा जानते हैं, का एसएमएस आया, “सर आप संभलना, नक्सल से दूर रहो।” रामा मुंबई में रहते हैं और मुंबई समेत देश के दूसरे हिस्सों के लोग भी छत्तीसगढ़ को आज तक नक्सलवाद से अलग करके नहीं देख पाए। दोपहर तक हालांकि सूबे में नक्सली हिंसा से छह लोगों की जानें जा चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद आम लोगों का हौसला कम नहीं हुआ है। और, यही वो हौसला है जो बदलते छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुका है।

अपनी पहली फीचर फिल्म के रिलीज़ होने के बाद अगली फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम करने के दौरान ही मेरा छत्तीसगढ़ आना हुआ। यहां आया तो इस सूबे को लेकर कोई खास तस्वीर दिमाग में मैंने पहले से खींची नहीं थी, क्योंकि अक्सर पूर्वाग्रह में रहते हुए आप चीज़ों को सही नज़रिए से देख नहीं पाते। लेकिन तस्वीर का असली रुख़ यहां आने के बाद ही देखने को मिलता है।

देश के तमाम राज्यों के भ्रमण के दौरान मैंने इनके आंतरिक अंचल देखे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ की छटा इन सबसे निराली है। दिल्ली के एयरकंडीशंड स्टूडियो में बैठे न्यूज़ चैनल वालों को सिर्फ नक्सली हमलों की ब्रेकिंग न्यूज़ चलाने के अलावा यहां के दूसरे हिस्सों को भी देखना चाहिए। छत्तीसगढ़ भगवान राम की ननिहाल है और इसका दण्डकारण्य आज भी उतना ही मोहक है, जितना शायद त्रेता युग में रहा होगा। नक्सलियों का दबदबा जैसी बातें यहां कम ही होती हैं, और नक्सलियों की पकड़ अगर है तो बस बस्तर और कांकेर जैसी जगहों के उन दुर्गम इलाकों में, जहां अभी सड़क और संपर्क के साधन नहीं बन पाए हैं। सरगुजा का झारखंड से लगा इलाका भी कभी कभी अशांत हो जाता है, लेकिन सिर्फ इनके बूते ही छत्तीसगढ़ को ख़ारिज नहीं किया जा सकता।

देश का सबसे बड़ा जल प्रपात छत्तीसगढ के चित्रकोट में है, जिन लोगों ने भी इसे देखा है, वो इसकी खूबसूरती और इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता से मोहित हुए बिना नहीं रह सके। कुछ कुछ नियाग्रा फाल सी बनावट लिए ये झरना सितंबर के आसपास अपने पूरे शबाब पर होता है, नदी भर के बहती है और झरना खुल के झरता है। छत्तीसगढ़ सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए खूब ज़ोर लगा रही है, लेकिन इसकी ताक़त एक दिशा में ना होने से ही शायद कोशिशों का असर हो नहीं पा रहा। एडवेंचर टूरिज़्म के यहां तमाम ठिकाने हैं, जहां वाटर स्पोर्ट्स से लेकर ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग, पैरा सेलिंग और बंजी जंपिंग तक की जा सकती है। हाल ही में मैनपाट की यात्रा के दौरान कुछ ऐसे उत्साही लोग भी मिले, जिन्होंने अपने खर्च पर इस सबके लिए व्यस्था कर रखी है। जंगलों के बीच का शांत माहौल यहां किसी को भी लंबे अरसे तक बांधे रह सकता है। शांत, निर्जन और नि:शब्द जंगलों की खूबसूरती छत्तीसगढ़ की कुदरती ख़ासियत से और बढ़ जाती है। मध्यप्रदेश के पठारों के बाद धरती जब बंगाल की खाड़ी की तरफ बढ़ती है तो एक अनोखा सा ढलान इस सूबे में देखने को मिलता है। और, इस ढलान पर सूरज की रोशनी जब एक बिरले कोण से पड़ती है, यहां का पत्ता पत्ता बूटा बूटा कुछ ऐसे रौशन हो उठता है, जैसे मणिरत्नम की किसी फिल्म का कोई कैनवस।

(...जारी)

15 टिप्‍पणियां:

  1. sir
    wakai aap likhte bahoot achchha ho
    lekin ye achchhai aapke lekhan tak hi kyun simti hui hai??


    ur peedit

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर. छत्तीसगढ़ बड़ा ही प्यारा प्रदेश है. नक्सल समस्या तो जैसा आपने कहा कुछ अंदरूनी जगहों में सिमटा हुआ है. चित्रकूट का जलप्रपात सचमुच सुन्दर है. हमारे जीवन का स्वर्णकाल उसी के आसपास बीता है. वैसे भारत का सबसे भव्य जलप्रपात केरल में अथिरापल्ली है. http://mallar.wordpress.com पर "एक नायाग्रा यहाँ भी" शीर्षक पर बहुत ही सुन्दर प्रविष्टि मिलेगी.

    जवाब देंहटाएं
  3. संजू भाई, आपका आशय समझ नहीं आया। सुब्रमनियन जी, मल्हार देखा, वाकई अद्भुत लिखते हैं आप।

    जवाब देंहटाएं
  4. कभी मध्यप्रदेश का अंग रहे छत्तीसगढ़ को समूचा देखना फिलहाल हसरत ही है। बिलासपुर तक का हिस्सा देखा है मगर बस्तर देखना बाकी है।
    बेहद खूबसूरत लैंडस्केप हैं यहां...मध्यप्रदेश के भी कई अंचल पर्यटन की दृष्टि से अछूते हैं।

    अगली कड़ी का इंतजार...

    जवाब देंहटाएं
  5. "...खुदा की कसम ये कश्मीर तो नहीं
    लेकिन कश्मीर से कम भी नहीं..."
    वा भइया बहुत अच्छा लगिस ये जान के कि छत्तीसगढ़ आप मन ल बने लगिस. तभे तो कहिथें -

    छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया.

    जवाब देंहटाएं
  6. कभी महीने भर उधर राजनाँदगाँव और भिलाई और दुर्ग की तरफ रहना हुआ था। सच में एक अलग लोक है यह।

    जवाब देंहटाएं
  7. छत्तीसग़ढ़ का तो पता नहीं वहाँ के लोगों के दिलों की खूबसूरती तो देखी है।

    जवाब देंहटाएं
  8. अजित भाई, बोधिसत्व जी और दिनेश जी,
    छत्तीसगढ़ को छानना बस शुरू ही किया है, लगता है तमाम हीरे छिपे हैं यहां की कुदरत में।
    और रवि भाई, जय जोहार, आपन मन सच कहिस, सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया।

    कहा सुना माफ़,
    पंकज शुक्ल

    जवाब देंहटाएं
  9. सर, क्या बात है... खूब लिखा है.... उम्मीद है कि इस तरह के लेखों से छत्तीसगढ़ की वास्तविक तस्वीर सामने आएगी... एसी कमरों में बैठने वालों के दिमाग में छत्तीसगढ़ का मतलब केवल नक्सलवाद और नंगे भूखे लोग हैं... इसलिए मैं अपने जान पहचान के लोगों से कहता रहता हूं कि छत्तीसगढ़ के बारें में कोई राय बनाने से पहले यहां आकर जरूर देखें...आप की राय पढ़कर वाकई लगा कि यहां आकर कोई भी छत्तीसगढ़ के प्रति पूर्वाग्रह नहीं रखेगा।
    बहुत बहुत साधुवाद.....

    जवाब देंहटाएं
  10. छतीसगढ के धवल पक्ष को सामने लाने का आपका प्रयास छतीसगढ पर फ़ैली भ्रम और अफ़वाहो की काली चादर को चीर कर उसके वास्तविक स्वरूप को जगजाहिर करने की दिशा मे मील का पत्थर साबित होगा। आभार आपका ्खूबसूरत छतीसगढ पर सुन्दर पो्स्ट के लिये॥

    जवाब देंहटाएं
  11. समरेंद्र भाई और अनिल पुसदकर जी की जै जै..

    जवाब देंहटाएं
  12. sir aap ne bikul sahi kha hain,chattisgarh ki kuch jageh dekhne layak hai,kuch din rha wha par ,kuch jaghe ghoomi bhi..

    जवाब देंहटाएं
  13. छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक खूबसूरती अभी तक बची हुई है ये जानकर अच्छा लगा....छत्तीसगढ़ सरकार अगर राज्य के खूबसूरत जंगलों और पहाड़ों को देश के पर्यटन मानचित्र पर ला पाये तो राज्य के बहुत से लोगों को रोजी रोटी की तलाश में अपने घरों को न छोड़ना पड़े.....

    जवाब देंहटाएं
  14. नमस्कार सर ,निसंदेह आप एक प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं
    आपसे सिखने को बहुत कुछ मिला .पर सर मैं प्रोडक्सन एक्ज्यूकिटिव से बात नही करता यह बात जमीं नहीं..सर एक बात कहना चाहता हूं ..सर करने को चला मैं दिल में कुछ अरमान थे
    एक तरफ जंगल ही जंगल एक तरफ शमशान थे
    पैर हड़डी पे पड़े हड्डी के ये बयान थे
    चलने वाले चल संभलकर हम भी कभी इंसान थे।
    आपका सदैव
    धौलिया

    जवाब देंहटाएं
  15. क्या बात है साहिब, जारी कहकर भी थम से गए हैं आप??

    आपके कथन में पूरे तौर पर सच्चाई है कि छत्तीसगढ़ में आकर रहने के बाद ही इसे सही मायनों में समझा जा सकता है।

    इंतजार रहेगा अगली किश्त का

    जवाब देंहटाएं