गुरुवार, 23 अगस्त 2007

दुबई मुशायरा

पहले तो इस बात की माफ़ी कि अरसे से यहां कुछ लिख नहीं पाया। दरअसल, पहली फिल्म की बात फाइनल होने के बाद से उसी के काम में लगा रहा। हिंदी फिल्म अब अगले साल होली के आसपास शुरू होगी, पहले एक भोजपुरी- मिथुन चक्रवर्ती और मनोज तिवारी के साथ। पिछले हफ्ते दुबई में था हिंदी फिल्म के लिए कुछ रिसर्च करने और लोकेशन देखने के लिए, वहीं एक बेहतरीन मुशायरा सुनने को मिला। अगले एक दो दिन तक उसी मुशायरे की शायरी आपतक पहुंचाने की कोशिश रहेगी।

राहत इंदौरी
16.08.2007 - दुबई


सरहदों पर बहुत तनाव है क्या
कुछ पता करो चुनाव है क्या

खौफ़ बिखरा है दोनों सम्तों में
तीसरी सम्त का दबाव है क्या

सिर्फ खंजर ही नहीं आंखों में प्यार भी है
ऐ खुदा दुश्मन भी मुझे खानदानी चाहिए

मैं अपनी खुश्क़ आंखों से लहू छलका दिया
एक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए

राहत इंदौरी ने मुशायरे में कुछ फुटकर शेर भी पढ़े। एक झलक उनकी भी।

किसने दस्तक दी ? कौन है ?
आप तो दिल में हैं, बाहर कौन है ?

शाखों से टूट जाएं वो पत्थर नहीं हैं हम
आंधियों से कह दो ज़रा औकात में रहें

खुश्क़ दरियाओं में थोड़ी रवानी और है
रेत के नीचे थोड़ा पानी और है...

उस आदमी को बस एक धुन सवार रहती है..
बहुत हसीन है दुनिया, इसे ख़राब कर दूं

मुझमें कितने राज़ हैं बतला दूं क्या
बंद एक मुद्दत से हूं खुल जाऊं क्या

और चलते चलते मज़ाहिया शायर सागर खय्यामी की एक भौं भौं...

सागर खय्यामी
16.08.2007 - दुबई


ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गांव का कुत्ता
कहां से अदा सीखी तूने दुम दबाने की

वो बोला दुम दबाने को कायरी न समझ
जगह कहां है दुम तलक हिलाने की

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